मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023

कामदा एकादशी व्रत की कथा

कामदा एकादशी

चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। इस ब्रत को करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और समस्त कार्य सिद्ध हो जाते हैं।

kamda ekadashi in hindi

कामदा एकादशी व्रत की कथा

प्राचीन समय में राजा पुण्डरीक नाम का राजा नागलोक में राज करता था। उस विलासी की सभा में अनेक अप्सरायें, किन्नर, गंधर्व नृत्य किया करते थे। एक बाद ललित नाम गंधर्व जब उसकी राज्यसभा में नृत्य गान कर रहा था, सहसा उसे अपनी सुन्दर स्त्री की याद आ गई जिसके कारण उसके नृत्य, गीत, लय-वादिता में अरोचकता आ गई। कार्कोट नामक नाग यह बात जान गया तथा राजा से कह सुनाया।

इस पर क्रोधातुर होकर पुण्डरीक नागराज ने ललित को राक्षस हो जाने का शाप दे दिया। ललित सहस्रों वर्ष तक राक्षस योनि में अनेक लोकों में घूमता रहा। इतना ही नहीं, उसकी सहधर्मिणी ललिता भी उन्मत्तवेश में उसी का अनुकरण करती रही। एक समय वे दोनों शापित दम्पत्ति विन्ध्याचल पर्वत के शिखर पर स्थित श्रृंगी नामक मुनि के आश्रम में पहुंचे।

उनकी करुणाजनक स्थिति को देखकर मुनि को दया आ गई ओर उन्होंने चेत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी का ब्रत करने के लिये कहा। उन दोनों ने मुनि के बताये गये नियमों का पालन किया तथा एकादशी ब्रत के प्रभाव से इनका श्राप मिट गया। दिव्य शरीर को प्राप्त कर वे दोनों स्वर्गलोक को चले गये।

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