शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

कबीर मन्दिर मस्जिद गिरजाघर में, बाँट दिया भगवान को || Mandir Masjid Girjaghar mein Kabir Ke Shabd ||

मन्दिर मस्जिद गिरजाघर में, बाँट दिया भगवान को।
Kabir Ke Shabd
kabir das ki vani sunaiye

मन्दिर मस्जिद गिरजाघर में, बाँट दिया भगवान को।
धरती बाँटी सागर बाँटा, मत बाँटो इंसान को।।

दुःख में मत घबराना पँछी, ये जग दुःख का मेला है।
चाहे भीड़ बहुत अंबर में, उड़ना तुझे अकेला है।।

नन्हे कोमल पंख ये तेरे, और गगन की ये दूरी।
बैठ गया तो कैसे होगी, मन की अभिलाषा पूरी।
उसका नाम अमर है जग में,जिस ने दुःख झेला है।।

चतुर शिकारी ने रखा है, जाल बिछा कर पग पग पर।
मत फंस जाना भूल से पगले, पछतावैगा जीवन भर।
लोभ में मै पड़ना रे पँछी, बड़े समझ का खेला है।।

जबतक सूरज आसमान पर, बढ़ताचल तूँ चलता चल।
घिर जाएगा अंधकार जब, बड़ा कठिन होगा पल पल।
किसे पता है उड़ चलने की, आ जाती कब वेला है।।

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