शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

कबीर प्रीत लगी तुम नाम की। Kabir pareet lagi tum naam ki ||

कबीर प्रीत लगी तुम
Kabir Ke Shabd

kabir ki vani sunao

प्रीत लगी तुम नाम की, पल बिसरू नाही।
नजर करो जरा मेहर की, मिलो मोहे गुसाईं।।
विरह सतावै है, जीव यो तड़पे मेरा।
तुम देखन को चाव है, पृभु मिलो सवेरा।।
नैना तरसे दर्श को, पल पलक न लागै।
दर्द बन्द दीदार का, निशि वासर जागै।।
जो इब कै प्रीतम मिले, बिन्सूं नहीं न्यारा।
कह कबीर गुरू पाइया, प्राणों का प्यारा।।

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