अभ्यास-PRACTICE
भगवान का नाम और गुणों का श्रवण ,कीर्तन, मनन तथा स्वांस के द्वारा जप और भगवद विषयक शास्त्रो का पठन पाठन इत्यादि चेष्ठा भगवद प्राप्ति के लिए बारम्बार कराने का नाम अभ्यास है ।
मन को किसी लक्ष्य विषय मेंतदाकार करने के लिए उसे अन्य विषयो से खीच खीच कर बार बार उस विषये में लगाने के लिए किये जाने वाले प्रयत्न का नाम अभ्यास है । यहाँ प्रसंग परमात्मा में मन लगाने का है ।
अतएव परमात्मा अपना लक्ष्य बना कर चित व्रति के प्रवाह को बार बार उन्ही की और लगाने का प्रयत्न करना यहाँ अभ्यास है।
मन को किसी लक्ष्य विषय मेंतदाकार करने के लिए उसे अन्य विषयो से खीच खीच कर बार बार उस विषये में लगाने के लिए किये जाने वाले प्रयत्न का नाम अभ्यास है । यहाँ प्रसंग परमात्मा में मन लगाने का है ।
अतएव परमात्मा अपना लक्ष्य बना कर चित व्रति के प्रवाह को बार बार उन्ही की और लगाने का प्रयत्न करना यहाँ अभ्यास है।

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