सूरत बंजारन प्यारी हे
Kabir Ke Shabd
सूरत बंजारन प्यारी हे, सौदा करले समझ विचार।
ऊत विपत में पछताओगे, कहा हमारा मान।
सौदा करले ये लालन का, कदे न आवै हार।।
सारी उम्र पीहर में खोई, जानी ना ससुराल।
पिया अपने की गति न जानी, होती फिरे खँवार।।
आगै पाछै लद लदी है, ज्यूँ बंजारा लाद।
चौरासी की धार चली है, हरि भज उतरो पार।।
घिसा सन्त कह म्हारी लाडो, चाल अनूठी चाल।
अटल सुहाग मिला म्हारी सजनी, पतिव्रता पत राख।।

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