बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

सन्तों घर में झगड़ा भारी - कबीर के दोहे और उनके अर्थ pdf

कबीर दास का जीवन परिचय इन हिंदी

Kabir ke Shabd

सन्तों घर में झगड़ा भारी।।
रात दिवस मिल उठ उठ लागैं, पाँच चोर एक नारी।।

न्यारो न्यारो भोजन चाहवै, पांचों अधिक स्वादी।
कोय काहू की बात न मानै, आपै आप मुरादी।।

दुर्मत के दिन गिण भेटें, चोर ही चाप चबेरे।
कह कबीर सोई जन मेरा, जो घर की रार निबेरे।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें