गनगौर व्रत
यह ब्रत चैत्र शुक्ल तृतीया को होता है। इस दिन सुहागन स्त्रियां व्रत रखती हैं। गणगोर शब्द गण और गौर दो शब्दों से बना है। गण का अर शिव और गौर का अर्थ पार्वती होता है। कहा जाता है इसी दिन भगवान शंकर ने अपनी अरदद्धांगिनी पार्वती का तथा पार्वती ने तमाम स्त्रियों को सौभाग्यवर दिया था।पूजा के समय मिट्टी की गौरी मां (गौर) बनाकर उस पर चूड़ी, महावर, सिन्दूर चढ़ाने का विशेष महत्त्व है। चन्दन, अक्षत, धृप, दीप, नैवेद्य से पूजन करने, सुहाग सामग्री चढ़ाने और भोग लगाने का नियम है। यह ब्रत करने वाली स्त्रियों को गौर पर चढे सिन्दूर को अपनी माँग में लगाना चाहिए यह बहुत ही शुभ माना जाता है।
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