मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023

गीता का रहस्य क्‍या है

गीता का रहस्य क्‍या है

गीता विशुद्ध रूप से कर्म के सिद्धांत को प्रतिपादित करती है। हे विशाल भुजाओं वाले अर्जुन! सत्व, रज ओर तम, इन तीन गुणों वाली प्रकृति व्यक्ति से कर्म कराती हे, किन्त अहकार से मोहित व्यक्ति स्वयं को कर्ता मान लेता है, परन्तु गुण विभाग और कर्म विभाग को समझन वाला मनुष्य यही सोचकर कभी कर्मों में आसक्त नहीं होता कि गुणों को तो हम प्रयोग करते हैं, मैं उनसे अलग हूं।

प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः।अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताऽहमिति मन्यते 
तत्त्ववित्तु महाबाहो गुणकर्मविभागयोः।गुणा गुणेषु वर्तन्त इति मत्वा न सज्जते। 


राम नाम सत्य है' क्‍यों कहते हैं? मृतक को जब श्मशान ले जाते हैं तब कहते जाते हैं 'राम नाम सत्य है।परंतु जहां घर लौटे तो राम नाम को भूल माया मोह से लिप्त हो जाते हैं। मृतक के घर वाले ही सबसे पहले मृतक के माल को सम्भालने की चिंता में लगते हैं और माल पर लड़ते-भिड़ते हैं। धर्मराज युधिष्ठर ने कहा हैअहन्यहनि भूतानि गच्छंति यमममन्दिरम्‌। शेषा विभूतिमिच्छंति किमाश्चर्य मतः परम्‌॥

नित्य ही प्राणी मरते हें, लेकिन शेष परिजन सम्पति को ही चाहते हैं. इससे बढ़कर क्‍या आश्चर्य होगा“राम नाम सत्य है, सत्य बोलो गत है' बोलने के पीछे मृतक को सुनाना नहीं होता हे, बल्कि साथ में चल रहे परिजन, मित्र ओर वहां से गुजरते लोग इस तथ्य से परिचित हो जाएं कि राम का नाम ही सत्य है। जब राम बोलोगे तब ही गति होगी।

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