गुरु पूर्णिमा - व्यास पूर्णिमा
व्यास पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। यह पूर्णिमा आषाद मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। आदिकाल में विद्यार्थी गुरुकुलों में शिक्षा प्राप्त करने जाते थे। छात्र इस दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित अपने गुरु का पूजन करके अपनी शक्ति के अनुसार दक्षिणा देकर उन्हें प्रसन्न करते थे। इस दिन पूजा से निवृत्त होकर अपने गुरु के पास जाकर वस्त्र, फल, फूल व माला अर्पण करके उनहें प्रसन्न करना चाहिए।
गुरु का आर्शीवाद कल्याणकारी और ज्ञानवर्धक होता है। चारों वेदों के व्याख्याता व्यास ऋषि थे। हमें वेदों का ज्ञान देने वाले व्यासजी ही हैं। इसलिये वे हमारे आदि गुरु हुए। उनकी स्मृति को ताजा रखने के लिये हमें अपने-अपने गुरुओं को व्यास जी का ही अंश मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए।
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