बुधवार, 8 फ़रवरी 2023

आषाढ़्‌ मास को गणेशजी की कथा

आषाढ़्‌ मास को गणेशजी की कथा

एक समय की जात है काफी समय पहले महिष्मती नामक  एक सुलार नगरी थी। वहां पर एक धार्मिक प्रवित्ति  वाले  राजां का राज्य था। राजा का नाम महाजित था। महाजित का घर और सब की तरह से  सम्पन  था, पर उसके कोई पुत्र नहीं था, अतः वह उदास ही रहता था। 
asadh mah ki ganesh ji ki katha

पुत्र की प्राप्ति के लिये उसने कई धार्मिक उपाय भी किये परन्तु यह सब करते करते उसकी पूरी उम्र निकल गई। वह बूढ़ा हो गया तब भी उसके यहां पुत्र का जन्म नहीं हुआ। उसने अपने दुख की कथा एक दिन लोमश ऋषि को सुनाई। | उसको दुखो देखकर ऋषि ने उसे कहा-'' राजन यदि तुम अपनी पत्नी  के साथ गणेश चौथ का व्रत करो तो निश्चित रूप से तुम्हारी यह इच्छा सम्पूर्ण होगी और तुम्हारे यहां पुत्र का जन्म अवश्य होगा।  

राजा ने यह बात अपनी पत्नि को बताई और दोनों ने मिलकरर के  गणेश चोथ का व्रत किया। गणेशजी की कृपा से उसकी पत्नी गर्भवती हो हि गई। दसवें महीने में उसके गर्भ से एक सुन्दर पुत्र का जन्म हुआ। गणेश जी ने उसकी मनोभिलाषा पूरी कर दी।


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