शनै:एचरी अमावस्या का क्या महत्व हे
ज्योतिष शास्त्र में मुहूर्त आदि की जो व्यवस्था हे उसका रहस्य इतना ही है कि अंतरिक्ष में स्थित ग्रह-नक्षत्रों का अमृत-विष व उदय गुण वाली रश्गमियां का प्रभाव सदैव एक समान नहीं रहता है। यह पूरा विश्व जिस सत्ता क संकल्प मात्र से अस्तित्व में आया है उसी की इच्छानुसार नवग्रहों के ऊपर इस विश्व के समस्त जड़-चेतन को नियंत्रित व अनुशासित करते रहने का भार भी हे। मानव समेत समस्त प्राणियों को मिलने वाले सुख-दुख ग्रहों के द्वारा ही प्रदान किए जाते हैं। यह बात अलग है कि किसी भी प्राणी का मिलने वाले सुख-दुख के मूल में उस प्राणी के किए गए कर्म ही होते हैं।शनि एक ऐसा ग्रह है जिसका जातकों पर परस्पर विरोधी प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। अगर शनि अनुकूल होता है तो जातकों को धन वैभव से भर देता है। ओर प्रतिकूल होने पर वह कष्टों का पहाड़ ढहा देता है। शनि की अनुकूल दशा में जातक को स्मरणीय शक्ति, धन वैभव व ऐश्वर्यादि की प्राप्ति होती हे। निंदित कर्मो में सहयोगी होने के फलस्वरूप उसे निंदा का पात्र बनना पड़ता हे। उसे पग-पग पर रोग व अपमान का सामना करना पड़ता है। याद रखें, शनि के कोप का भाजन वही लोग होते हें जो गलत काम करते हैं। शनि के दोष, कोप की शांति का दिन शनेैःश्चरी अमावस्या है।
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