विषन मांही लिपटाना रे।
ठोकर लगे चेतकर चलना,
कर जाय प्राण पयाना रे
मोरी-२ करता डोले,
माया देख लुभाना रे ।
या धरती पर रहना नाही,
सांचे वर उठ जाना रे.
पीर फकीर औलिया योगी,
रहे न राजा रानी रे।
पैठ पैर पर तक तक मारे,
काल अचानक आना रे ।
काम क्रोध मोह छीड़ के,
शरण को आना रे ।
कहत कबीर विसारि नाम,
नहीं कहूं ठिकाना रे ।

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