बुधवार, 24 नवंबर 2021

तन का तनिक भरोसा नहीं - Tann Ka Tanik Bharosha Nahi Kabir Shabd

कबीर भजन राग असावरा

तन का तनिक भरोसा नाही,
काहे करत गुमान रे। टेक
टेढ़ी चले मरोर के मूछें,
विषन मांही लिपटाना रे।
ठोकर लगे चेतकर चलना,
कर जाय प्राण पयाना रे
मोरी-२ करता डोले,
माया देख लुभाना रे ।
या धरती पर रहना नाही,
सांचे वर उठ जाना रे.
पीर फकीर औलिया योगी,
रहे न राजा रानी रे।
पैठ पैर पर तक तक मारे,
काल अचानक आना रे ।
काम क्रोध मोह छीड़ के,
शरण को आना रे ।
कहत कबीर विसारि नाम,
नहीं कहूं ठिकाना रे ।

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