गुरुवार, 4 नवंबर 2021

प्रेम प्रीत की रीत - Prem Preet ki Reet Kabir ke shabd

Prem Preet Ki Reet
Kabir ke shabd

प्रेम प्रीत की रीत दुहेली, जो जाने सो जाने जी।।
सिर देवै सो प्याला लेवै, मूर्ख क्या पहचाने री।।
कायर का ये काम नहीं है, न्यू महबूब ने माने री।
तन मन धन सब कुछ सौंपे, साहिब हाथ बीकाने री।
नित्यानन्द मिले स्वामी गुमानी, लग गई चोट निशाने री।

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