मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020

अनुकूलता और प्रतिकूलता - Compatibility and hostility

अनुकूलता और प्रतिकूलता

जो लोग निरंतर प्रतिकूलताओ का रोना रोते है
स्वयं की  असफलताओ के लिए दूसरे व्यक्तियों को दोष देते है 
यह लोगो के लिए यह महत्वपूर्ण है की
अनुकूलता प्रतिभा को आगे बढ़ने मात्र अवसर ही देती है
जबकि प्रतिकूलता व्यक्ति की प्रतिभा और व्यक्तित्व को परिष्कृत करती  है निखारती है
अनुकूलता और प्रतिकूलता दो प्रकार की परिस्थितियों में पले -बढे दो  प्रकार के व्यक्ति जब  
एक जैसी उपलब्धि एक साथ हासिल करते है
तो दोनों का मुल्य भिन्न-भिन्न होता है
कार्य करने की प्रणालियाँ अलग -अलग होती है
अनुकूलता  में पाई गई उपलब्धी चिर स्थाई नहीं होती
ऐसी उपलब्धि धरातल  की वास्तविकता से परिचय के अभाव में व्यक्ति की अनुभव हीनता ही दर्शाती है
परिणाम स्वरूप कठिन परिस्थितियों में व्यक्ति कितने ऊँचे पद पर आसीन हो जाए
उसे पतन के मार्ग की और ले जाती है
प्रतिकूल परिस्थितियों का पथिक जब अपना लक्ष्य प्राप्त करता है
तो वह यथार्थ की परिस्थितियों से परिचित होने के कारण कठिन और विकट परिस्थितियों में विचलित नहीं होता उसका प्रत्येक निर्णय दूरदशिता पूर्ण होता
अन्तत ऐसा व्यक्ति अनंत उंचाईयों  को प्राप्त करता है
इसलिए व्यक्ति को प्रतिकूलताओ से भयभीत नहीं होना चाहिए

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