Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
लेकिन हरि को तुं नहीं पाएगा,
जब तक खुदी को नहीं मिटाएगा।।
खुदी है जहां, भगवान नहीं है।
जिस में हूं मैं, वो इंसान नहीं है।
तुं खुद को जान प्राणी, खुद को पहचान प्राणी।
वरना बड़ा पछताएगा।।
जिस में हूं मैं, वो इंसान नहीं है।
तुं खुद को जान प्राणी, खुद को पहचान प्राणी।
वरना बड़ा पछताएगा।।
क्यों करता है मेरा मेरा, सच मे तो बन्दे, कुछ नहीं तेरा।
तन भी ले लेगा ईश्वर,धन भी ले लेगा ईश्वर।
क्या तेरा रह जाएगा।।
तन भी ले लेगा ईश्वर,धन भी ले लेगा ईश्वर।
क्या तेरा रह जाएगा।।
मैं से किया जो गुणगान नहीं वो, खुद नाम चाहे किया, दान नहीं वो।
चाहे तुं दान करले, चाहे गुणगान करले।
कुछ भी काम नहीं आएगा।।
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