Mahatama Buddha
खुद की पहचान करो
बुद्ध ऐसे ही विचारों में मगन थे कि तभी उन्होंने ग्रामीणों की एक भीड़ को अपनी ओर आते देखा | बड़ा शोर था और लोग किसी युवती के प्रति अपशब्द बोल रहे थे। तथागत ने देखा कि लोग एक युवती को घसीटकर ला रहे थे और उसको गाली भी दे रहे थे। भीड़ के नजदीक आने पर बुद्ध ने लोगों से युवती को पीटने और अपशब्द कहने का कारण पूछा। लोगों ने कहा कि यह स्त्री व्यभिचारी हैं और हमारे समाज का नियम है कि यदि व्यभिचारी स्त्री पकड़ी जाए, तो उसे पत्थरों से कुचलकर मार डालना चाहिए।
इस घटना से यही सत्य उभरता है कि हम खुद अपने प्रति न्याय कर सकते हैं, दूसरों के प्रति नहीं, क्योंकि हमारी जानकारी दूसरों के विषय में अधूरी होती है। यदि हम किसी के प्रति न्याय करना चाहते हैं, तो उसे ऐसा प्यार और स्नेह मिलना चाहिए कि खुद ही अपने दोषों को स्वीकार कर ले और उन्हें पुनः न दोहराने का व्रत ले।
तथागत यह भी कहते थे कि सबसे पहले व्यक्ति को खुद की पहचान करनी चाहिए । दूसरों की बजाय व्यकित खुद के बारे में ज्यादा जानता है। उनका मत था कि बुराई से घृणा करो, बुरे व्यक्ति से नहीं।
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