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| Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
विषय गन्दगी चढ़ रही भारा, मैला ढूंढ बना लिया सारा।
हो गुरुमुख डुबकी ला तुं।।
गाफिल नींद नशे नै घेरा, टूटा ढूंढ तनै ना बेरा।
चेतनता बाजार तुं।।
ठाले शस्त्र गुरु ज्ञान का, करले सुमरन रामनाम का।
यो अवसर चुका जाए तुं।।
मूर्ख बदी करन तैं डर ले, कुछ तै कालबली तैं डर ले।
जो तनै एक दिन खाए।।
धर्मराज की लगै कचहड़ी, देगा कौन गवाही तेरी।
मिलेगी तनै सजा।।
राम किशन या तेरी मंजूरी, हरि भजन से होगी पूरी।
ना वृथा जन्म गंवा।।
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